श्री राम
अनादि काल से संपूर्ण भारतवर्ष एवम विश्व में भारतीय मनीशियो का प्रादुर्भाव रहा है सभी ने इस देव भूमि पर अवतरित प्रभु श्री राम एवम् कृष्ण का वंदन किया है , प्रभु श्री राम मानवीय गुणों एवम् मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप मे जन जन में विद्यमान थे
समय का चक्र तेज़ी से बदलता रहा , जो राष्ट्र कभी भारतवर्ष को गौरवशाली एवम संतों की भूमि के रूप में प्रणाम करते थे आज समय के साथ बदल गये या दुनिया की नज़रों मे विकसित हो गये , पर हमने स्वयं को किस विकास के लिए बदल दिया ?
क्या अपनी धरती अपने प्रभु को भुलाकर कोई इंसान आत्मसम्मान से जीवित रह सकता है....? शायद नहीं ... भारतीयता एक जीवन जीने की कला है जिसे इस धरती पर अवतरित महापुरुषों ने सम्रद्ध किया है
आज के समय मे इस राष्ट्र की सार्थकता तभी सिद्ध हो सकती है जब हम ईश्वरीय आदेशों का धर्मनुसार पालन करें, पुन: जन जन में प्रभु द्वारा पालन की गयी मर्यादाओं का प्रतिस्थापन करें
श्री राम
aapne bilkul thik baat likhi hai.
ReplyDelete"हिन्दीकुंज"
आप का ब्लाग अच्छा लगा...बहुत बहुत बधाई....
ReplyDeleteएक नई शुरुआत की है-समकालीन ग़ज़ल पत्रिका और बनारस के कवि/शायर के रूप में...जरूर देखें..आप के विचारों का इन्तज़ार रहेगा....
जय श्री राम!
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